जोगिंद्रनगर-मौजूदा नगर परिषद का पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा होने को है लेकिन इन पांंच वर्ष के कार्यकाल में नगर परिषद जोगिंद्रनगर शहर के कूड़ा-कचरे को ठिकाने लगाने हेतु डंपिंग साइट का प्रबंध नहीं कर पाई है। आलम यह है कि अभी भी नगर परिषद को शहर का कूड़ा-कचरा ठिकाने लगाने हेतु लगभग पचास किलोमीटर से भी अधिक सफर तय कर मंडी जाना पड़ता है, जिस पर प्रतिमाह हजारों रुपए का आर्थिक बोझ नगर परिषद पर अकारण ही पड़ रहा है।
कहा जाए तो नगर परिषद के कुप्रबधन के चलते नगर परिषद जोगिंद्रनगर को डंपिंग साइट की समस्या से जूझना पड़ रहा है। पूर्व नगर पंचायत के कार्यकाल में मच्छयाल के समीप चलहारग पंचायत में डंपिंग साइट लगभग 50 वर्षों के लिए लीज पर ली गई थी, लेकिन वहां डंप किए जा रहे कूड़े को लेकर गांववासियों के विरोध के चलते मामला विवादित हो गया और इस पर गांववासियों समक्ष ठीक से पैरवी न करने के चलते डंपिंग साइट का मामला माननीय उच्च न्यायालय पहुंच गया और उच्च न्यायालय में विचाराधीन होने के चलते नगर परिषद के लिए कूड़े-कचरे को ठिकाने लगाना दिन प्रतिदिन टेढ़ी खीर होता चला गया।
बाद में नगर परिषद द्वारा कूड़ा-कचरे को ठिकाने लगाने हेतु आधुनिक मशीन लगाने के दावे भी किए गए तथा इसके लिए सांसद रामस्वरूप शर्मा व विधायक प्रकाश राणा द्वारा धन दिए जाने की घोषणा भी की गई, लेकिन न जाने यह मशीन क्यों स्थापित नहीं हो पाई। इसके पश्चात गीला कूड़ा ठिकाने लगाने हेतु यहां कृषि विभाग की भूमि पर भी डेढ़ लाख रुपए से अधिक राशि खर्च कर पिट बनाए गए, लेकिन वहां भी कृषि विभाग द्वारा फेंसिंग आदि करके रास्ता बंद कर दिया गया। नगर परिषद द्वारा मौजूदा में सूखा कूड़ा तो अलग करके रोल बनाकर बरमाणा स्थित सीमंेट फेक्टरी को भेजा जा रहा है, जबकि गीला कूड़ा मंडी स्थित डपिंग साइट भेजा जा रहा है।
क्या कहते हैं एसडीएम
कार्यकारी अधिकारी नगर परिषद एवं एसडीएम जोगिंद्रनगर अमित मेहरा का कहना है कि डंपिंग साइट का मामला माननीय उच्च न्यायालय के विचाराधीन है। मामले के शीघ्र हल होने की उम्मीद की जा रही है। नगर परिषद द्वारा घर-घर से कूड़ा एकत्रित कर सही निष्पादन किया जा रहा है।
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