
हमीरपुर। 'मेरे भाई को तो आप ले आए पर दुश्मनों के सिर काटकर क्यों नहीं लाए।' बिलखते हुए यह सवाल हमीरपुर के घुमारवीं से ताल्लुक रखने वाले शहीद कमलदेव वैद्य की बहन शशि वैद्य ने पार्थिव देह लेकर उनके गांव पहुंचे डोगरा रेजिमेंट के जवानों से पूछा। शशि ने कहा कि मेरे भाई के शरीर को जिस तरह दुश्मनों ने नुकसान पहुंचाया तो उसी तरह दुश्मनों के सिर भी काटकर लाते तो मेरे दिल को सुकून मिलता।
अब जवानों के पास शशि के सवालों के जवाब तो नहीं थे, लेकिन उनकी आंखों में भी आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा था। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले की कृष्णा घाटी में नियंत्रण रेखा के नजदीक गश्त के दौरान बारुदी सुरंग फटने के शहीद हुए भोरंज ब्लाक की लगमन्वीं पंचायत के घुमारवीं गांव के रहने कमलदेव वैद्य की शहादत पर हर किसी की जुबां पर उसकी गायकी, खेल व पढ़ाई पर नाज है। इसके साथ ही साथ अचानक इस शहादत से खो जाने का गमहीन मौहाल है।
रविवार को डोगरा रेजिमेंट के सिपाही अपने साथी शहीद कमलदेव वैद्य का अंतिम संस्कार करने के बाद वापस शहीद के आंगन से जा रहे थे तो शहीद की छोटी बहन शशि वैद्य ने भीड़ से उठकर रोते-बिलखते सैनिकों को घेर लिया और वर्दी से पकड़कर पूछने लगी कि अब मैं अपने भाई का मुंह कैसे देखूं। इससे माहौल बेहद गमनीय हो गया और सिपाही भी रोने लगे। शनिवार को गश्त के दौरान विस्फोट से कमलदेव वैद्य बुरी तरह से जख्मी होकर शहीद हुए हैं।
कमलदेव की एक टांग व शरीर के अन्य भाग क्षतिग्रस्त हो गए थे। इस दौरान पैतृक गांव में शहीद के पार्थिक शरीर के दर्शन पूरी तरह से नहीं करवाए गए। 15 डोगरा रेजिमेंट के सूबेदार किशोर चंद ने परिवारजनों को इस शहादत के बारे में जानकारी भी दी। कमलदेव वैद्य ने राजकीय उच्च पाठशाला लुद्दर में पहली से दसवीं तक शिक्षा ग्रहण की है। इस दौरान स्कूल में वालीबाल का उम्दा खिलाड़ी रहा है।
FROM - HIM NEWS
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