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Saturday, January 9, 2021

एचपी बोर्ड ने SOS प्लस टू पास आउट का भविष्य लगा दिया दाव पर

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4 महीने हो गए हैं परीक्षाएं दिए, उच्च शिक्षा के लिए यूनिवर्सिटी ने प्रोविजनल पर इनरोलमेंट नंबर देने से किया इनकार

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के सुस्त रवैया के चलते सैकड़ों छात्रों के भविष्य पर तलवार लटक गई है। सितंबर माह में एस ओ एस के तहत ओपन बोर्ड से जमा दो की परीक्षा देने वाले छात्रों को अभी तक ना तो उन की मार्कशीट मिल पाई है और ना ही उन्हें माइग्रेशन सर्टिफिकेट दिया गया है।

इन दोनों सर्टिफिकेट के ना होने से उच्च शिक्षा के लिए देश व प्रदेश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों का रुख करने वाले छात्रों को संबंधित संस्थानों की यूनिवर्सिटी ने आगामी परीक्षा के लिए इनरोलमेंट नंबर देने से इनकार कर दिया है। जाहिर सी बात है कोई भी यूनिवर्सिटी प्रोविजनल मार्कशीट पर और वह भी बिना माइग्रेशन सर्टिफिकेट के इनरोलमेंट नंबर जारी नहीं करती है।

ऐसे में इन बच्चों को अपने भविष्य को लेकर बड़ी चिंता भी हो गई है। वजह बिल्कुल साफ है बिना सर्टिफिकेट के इन्हें इनरोलमेंट नंबर यूनिवर्सिटी जारी नहीं करेंगी लिहाजा यह परीक्षाएं भी नहीं दे पाएंगे। हैरानी की बात तो यह है कि अधिकतर छात्र ऐसे हैं जिन्होंने दूसरे राज्यों में एडमिशन के दौरान आगामी परीक्षा के प्रैक्टिकल परीक्षाएं भी देती हैं। इसका सबसे बड़ा खामियाजा निजी शिक्षण संस्थाओं में पढ़ने वाले छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। एक तो भारी भरकम फीस और ऊपर से 1 साल बर्बाद होने का डर लगभग पक्का हो चुका है।

शिक्षण संस्थान भी तब तक एडमिशन कंफर्म नहीं करते हैं जब तक ओरिजिनल मार्कशीट और माइग्रेशन सर्टिफिकेट सबमिट ना किया जाए। हैरानी तो इस बात की है कि नियमानुसार डेढ़ से 2 महीने के अंदर अंदर छात्र छात्राओं को उनके प्रमाण पत्र जारी करने होते हैं। मगर यहां तो चौथा महीना शुरु हो चुका है और बच्चों की अभी तक मार्कशीट तक जारी नहीं की गई है।

अधिकतर बच्चों ने हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड के भरोसे पर राज्य व अन्य राज्यों के शिक्षण संस्थानों में एडमिशन ले लिए हैं मगर अब उनकी आगामी परीक्षाओं की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। जिसमें सबसे जरूरी और अहम बात तो यह है कि परीक्षा का प्रमाण पत्र और संबंधित बोर्ड का माइग्रेशन सर्टिफिकेट भी चाहिए होता है।

उध,र एचपी बोर्ड के चेयरमैन दलजीत सिंह से उनके मोबाइल नंबर और लैंडलाइन नंबर पर कई बार संपर्क किया गया मगर उन्होंने फोन नहीं उठाया। एस ओ एस ब्रांच में फोन करने के बाद जानकारी मिली की अभी तक सर्टिफिकेट प्रिंट ही नहीं हुए हैं। ब्रांच के सूत्र ने बताया कि जल्दी सर्टिफिकेट प्रिंट हो जाएंगे जिसके बाद उन्हें भेज दिया जाएगा।

अब सवाल यह उठता है कि बोर्ड के इस डुलमुल और सुस्त रवैया के चलते वह भी इस कंप्यूटर युग में जब हर कार्य सिर्फ एक कमांड के ऊपर हो जाता है ऊपर से यह देरी कहीं ना कहीं प्रदेश सरकार का शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर सवालिया निशान भी खड़े कर रहा है।


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