
प्रदेश के निजी बस आपरेटर्ज ने संघर्ष की चेतावनी दी है। उन्होंने सरकार को साफ शब्दों में कह दिया है कि अगर 15 दिसंबर तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो निजी वे संघर्ष का बिगुल फूंक देंगे। प्रदेश के ऑपरेटर टैक्स में राहत और वर्किंग कैपिटल जल्द जारी करने की मांग उठा रहे हैं। निजी बस आपरेटर संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पराशर ने कहा है कि सरकार उनसे सौतेला व्यवहार कर रही है। हिमाचल में अन्य क्षेत्र के रूप में परिवहन सेवाएं दे रही एचआरटीसी को 353 करोड़ रुपए की राहत सरकार ने दी है, जबकि निजी बस आपरेटरों पर लगातार नए से नए कानून थोपे जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्य पंजाब में जहां पर लोग भी बाहर निकले शुरू हो गए हैं व बसों में पर्याप्त सवारियां भी उपलब्ध हो रही हैं, वहां की सरकार ने निजी बस आपरेटरों का 31 दिसंबर तक एसआरटी माफ कर दिया है। उन्होंने कहा है कि मंत्रिमंडल की बैठक में जो फैसला लिया गया था कि सरकार निजी बस आपरेटरों को दो लाख का राहत पैकेज देगी, यह राशि लोन के रूप में दी जानी थी और दो वर्ष के अंदर यह लोन निजी बस आपरेटरों द्वारा वापस किया जाना था, लेकिन अभी तक इस घोषणा को अमलीजामा नहीं पहनाया गया है, जिस कारण उन्हें दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि परिवहन मंत्री से कई बार मिलने पर भी उनकी मांगें पूरी नहीं हो पाई हैं। उन्होंने कहा कि अब पानी सिर से ऊपर चला गया है और अगर 15 दिसंबर तक सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है, तो वे आंदोलन शुरू कर देंगे, जिसमें आत्मदाह व आमरण अनशन तक से पीछे नहीं हटा जाएगा।
फैसला वापस लें
निजी बस आपरेटरों ने कहा कि सरकार ने 50 फीसदी क्षमता में बसे चलाने की, जो शर्त लगाई है, उस फैसला को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए। क्योंकि आदेशों के बाद बसों में 10 से 15 फीसदी सवारिया ही बैठ रही हैं। साथ ही सरकार का फैसला है कि कोई सवारी बिना मास्क बैठी होगी, तो परिचालक के खिलाफ मुकदमा दायर किया जाएगा, यह मात्र एक तुगलकी फरमान है। सरकार को दोबारा इस पर विचार-विमर्श करना चाहिए।
FROM - HIM NEWS
loading...
loading...
No comments:
Post a Comment