
हिमालय की पीर-पंजाल रेंज में 10 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर निर्मित अटल रोहतांग टनल विश्व की सबसे लंबी और अत्याधुनिक ट्रैफिक टनल होगी। बता दें कि लेह-मनाली को जोड़ने वाली इस सुरंग का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में बीते वर्ष अटल रोहतांग सुरंग (अटल टनल) रखा गया। अटल टनल का निर्माण पूरा हो चुका है। जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टनल को देश के लिए समर्पित करेंगे।
करोड़ों रुपए की लागत से अटल टनल के इलेक्ट्रिकल कार्य को अंजाम दिया गया है। इस टनल की खासियत यह भी है कि सुरंग में कभी भी अंधेरा नहीं छाएगा और टनल हमेशा दुधिया रोशनी से जगमगाती रहेगी। वहीं टनल में इस तरह की लाइट्स लगाई गई हैं, जो दिन-रात जलती रहेंगी और टनल के भीतर से गुजरने वाले लोगों का सफर आसान करेंगी। यही नहीं, बीआरओ के अधिकारियों का कहना है कि टनल के नोर्थ व साउथ पोर्टल पर विशाल जेनरेटर भी स्थापित किए गए हैं।
ऐसे में अगर कभी बिजली जाती भी है, तो जेनरेटर के माध्यम से टनल के भीतर बिजली की सप्लाई की जाएगी। यही नहीं, परियोजना प्रबंधन ने इस बात का खुलासा किया है कि टनल के कंट्रोल रूम में ऐसी व्यवस्था की गई है कि बिजली जाने की सूरत में आठ से दस घंटे का बिजली का बैकअप असानी से मिल सकता है, जिसके माध्यम से भी सुरंग के अंदर की लाइटें जगमगाती रहेंगी।
मनाली-लेह मार्ग का लगभग 45 किलोमीटर सफर कम होगा
भारत-चीन के साथ पाकिस्तान की सीमा को जोड़ने वाले मनाली-लेह मार्ग के बीच रोहतांग दर्रे के नीचे बन रही अटल टनल के उद्घाटन से सेना की कानवाई को आने-जाने में आसानी होगी। टनल से मनाली-लेह मार्ग का लगभग 45 किलोमीटर का सफर कम होगा। जिसको पूरा करने में मनाली से कोकसर तक करीब चार घंटे का समय लगता है।
इसके साथ ही साल में छह से सात माह तक देश दुनिया के अलग-थलग रहने वाली लाहौल घाटी भी जुड़ी रहेगी। हजारों लोगों के पलायन के साथ लाहौल घाटी पर्यटन की दृष्टि से भी विकसित होगी। टनल के मुख्य अभियंता ब्रिगेडियर केपी पुरुषोतमन ने कहा कि अटल टनल रोहतांग के अंदरूनी भाग का काम चल रहा है।
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