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Tuesday, September 22, 2020

कोरोना संकट के बीच स्कूल खुले पर अभिभावक बच्चों को भेजने के लिए राजी नहीं

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कोरोना वायरस संक्रमण के बीच करीब छह महीने बाद 21 सितंबर से 9वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए स्कूल 50 फ़ीसदी स्टाफ के साथ खोल दिए गए हैं। हालांकि वैश्विक महामारी कोरोना के चलते प्रदेश के विद्यालयों में छात्र गिने चुने ही आ रहे हैं। अभिभावक भी अभी अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए राजी नहीं हैं। वे सहमति पत्र नहीं भर रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं और ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजने में डर सता रहा है।

अगर स्कूलों में एक भी कोरोना का केस आ गया तो इससे बच्चे संक्रमित हो सकते हैं। वही कई अभिभावकों ने कहा कि रोजाना कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। अभी बच्चों को स्कूल भेजने से बेहतर यही होगा कि घर पर ही ऑनलाइन पढ़ाई सुचारु रखी जाए। वही स्कूलों में कोरोना के खतरे के दृष्टिगत सैनिटाइज और सोशल डिस्टेंसिंग का बखूबी पालन किया जा रहा है। छह महीनों तक स्कूल कोरोना संक्रमण के चलते बंद ही रहे। ऐसे में स्कूलों में विद्यार्थी नजर नहीं आ रहे थे।

हालांकि कक्षाएं स्कूलों में नहीं लगेंगी। लेकिन विद्यार्थियों को मार्गदर्शन के लिए स्कूल आने को कहा गया है। स्कूल में जहां सैनिटाइजर की व्यवस्था थी, वहीं सामाजिक दूरी नियम का पालन करते हुए इन विद्यार्थियों ने अपने कार्य को पूरा किया। इसके साथ ही स्कूल प्रबंधन की ओर से अभिभावकों से एक शपथपत्र भी भरवाया जा रहा है। इसमें छात्रों के स्कूल आने के लिए अभिभावकों की सहमति ली जा रही है।


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