
धान की फसल पर झुलसा व पनसोंख, खुली कंगियारी जैसी बीमारियां फैलने लगी है। गांवों तक कृषि विस्तार अधिकारियों की पहुंच नहीं होने पर किसान दवा विक्रेताओं का आश्रय लेकर खेतों में कीटनाशक का छिड़काव कर रहे हैं। कृषि विशेषज्ञ कहना हैं कि इस समय बीमारी का इलाज करना संभव नहीं है। करीब 15 दिन पूर्व उन्हें दवाई को छिड़काव करना चाहिए था। चार माह खेतों में मेहनत करने के बाद जिला के किसान हाथ मलने को मजबूर होने लगे हैं।
जानकारी के मुताबिक जिला में एक लाख तीन हजार हेक्टेयर भूमि में खेती होती है, इसमें से 33 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की फसल उगाई जाती है। धान की पौध में चावल के सफेद दानों की जगह काले दाने निकल रहे हैं। ऐसे में किसान परेशान हो गए हैं, क्योंकि छह माह की मेहनत के बाद उनके हाथ सिवाय घास के कुछ नहीं लगने वाला है।
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