
सोलन। माता शूलिनी का डोला उठाने वाली संस्था ने जिला प्रशासन के निर्णय पर सवालिया निशान खड़े किए है। संस्था के अध्यक्ष मंजूल अग्रवाल ने कहा कि कल यानि रविवार को जिला प्रशासन द्वारा दोपहर 1 से 3 बजे तक सोलन बाजार में दुकाने बंद रखने के आदेश जारी किए गए है।
यह बंद माता शूलिनी के वापिस जाने के लिए माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि निर्णय पर एक बात सोलन के लोग कह रहे है कि शास्त्रोक्त के हिसाब से 3 बजकर 28 मिनट तक सूर्य ग्रहण है, जिसमें मंदिरों के कपाट बंद रखे जाते है।
ऐसे में माता को ले जाना प्रशासन और दोनो मंदिरों के पडिंतो के निर्णय पर सवालिया निशान खडा कर रहा है कि क्या इस पर विचार नहीं किया गया। अगर किया गया तो क्यों जानबूझ कर ये अधर्म सूर्य ग्रहण काल में क्यों किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से 19 तारीख को प्रशासन ने आधी अधूरी नगर फेरी करवा के लोगों को अघात पहुंचाया है और अब रात की जगह दिन में सूर्य ग्रहण के समय माता को वापिस ले जाना, इससे प्रतीत हो रहा है कि दोनों मंदिर के पंडित और आचार्य प्रशासन के सामने पंगू बन गए है। इसलिए इतनी बड़ी धार्मिक गलतियां कर रहे है।
उपायुक्त सोलन के व्यवहार से दुखी मंजूल अग्रवाल व अन्य व्यपारी वर्ग ने कहा कि मां शूलिनी सेवा समिती के सदस्य शहर के ही व्यापारी है और उपायुक्त जिस कुर्सी पर बैठे है, वह कुर्सी शहर के लोगोंकी बात को सुनने के लिए सरकार द्वारा दी गई है।
इस कुर्सी पर बैठ कर शहर के लोगों की बात सुनना उपायुक्त सोलन का कर्तव्य है। इस कुर्सी पर बैठने वाले अधिकारी का किसी भी आम शहरी पर गुस्सा करना शोभा देने के साथ-साथ कुर्सी का भी अपमान है।
बरहाल जिस प्रकार प्रशासन के असहयोग और शास्त्रोक्त नियमों का उल्लंघन हुआ है यही नहीं ग्रहण काल में माता की सवारी का वापसी करवाना सोलन की जनता में प्रशासन व मंदिर के पुजारियों के प्रति गहरा रोष प्रकट करता नजर आ रहा है। यही नहीं स्थानीय राजनेताओं की चुप्पी भी आम जनता के गले से उतरती नजर नहीं आ रही है। कहते हैं जब धर्म और आस्था पर तुगलकी फरमान हो तो निश्चित ही इसे शुभ संकेत नहीं मान सकते।
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