रेल अधिकारियों के अनुसार, रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) को देश स्तर पर पहले चरण में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड पर 123 स्टेशनों को विकसित करने का काम सौंपा गया है.
इनमें से ईस्ट सेंट्र्ल रेलवे के राजेंद्र नगर टर्मिनल, गया, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेगूसराय, सिंगरौली, सीतामढ़ी, दरभंगा, बरौनी, धनबाद और पं दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन हैं. इस सूची के अनुसार इन 11 में से बिहार के ही 8 स्टेशन शामिल हैं. वहीं, झारखंड, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के एक-एक स्टेशनों के नाम हैं.
री-डेवलपमेंट के बाद देना होगा शुल्क
हालांकि, ये शुल्क तब से देने होंगे जब से यात्रा करने वाले यात्री इन स्टेशनों के विकास/पुनर्विकास योजना के पूरा होने के बाद स्टेशन विकास शुल्क का भुगतान करेंगे. स्थानीय यात्री ट्रेनों में यात्रा करने वाले यात्रियों को एसडीएफ लेवी से छूट दी गई है, जबकि प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी और मेमू/डेमू ट्रेनों के अनारक्षित डिब्बों में यात्रा करने वाले यात्रियों को कम दूरी की यात्रा के दौरान प्रति व्यक्ति 10 रुपये का भुगतान करना होगा. रेल मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार, 1 एसी क्लास के लिए 50, स्लीपर क्लास के लिए 25 और अनारक्षित क्लास के लिए 10 रुपए देने होंगे. टिकट के लेते समय ही यह चार्ज जुड़ जाएगा. प्लेटफॉर्म टिकट में भी 10 रुपए अतिरिक्त लगेंगे.
सूत्रों के अनुसार, रेलवे ने विकसित/पुनर्विकसित स्टेशनों पर प्रत्येक प्लेटफॉर्म टिकट की कीमत पर अतिरिक्त 10 रुपये की वृद्धि की है, जिससे यह प्रति प्लेटफॉर्म टिकट की कीमत 20 रुपये हो गई है. पूर्व मध्य रेल के 10 रेलवे स्टेशनों को वर्ल्ड क्लास स्टेशन के रूप में डेवलप करना है. राजेंद्रनगर समेत बिहार के 8 रेलवे स्टेशनों को विश्वस्तरीय बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है.
बता दें कि स्टेशन पुनर्विकास योजना के तहत इन्हें री-डेवलप किया जा रहा है. स्टेशन डेवलपमेंट चार्ज के तौर पर यात्रियों से यह अतिरिक्त शुल्क स्टेशनों के री-डेवलप होने के बाद लिया जाएगा. इस संबंध में रेलवे ने हाल ही में सर्कुलर जारी कर दिया है, लेकिन कब से लागू होगा, अभी यह तय नहीं है. इन्हे भी जरूर पढ़ें
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