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Thursday, October 14, 2021

5वीं पास महिला ने सिर्फ़ 2 गायों से शुरू किया दूध का बिजनेस, अब करतीं हैं लाखों का कारोबार

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आज हम एक ऐसी परिश्रमी महिला की कहानी बता रहे हैं, जिनके पास कोई बड़ी डिग्री नहीं लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी लगन और मेहनत से जीवन में बहुत सफलता हासिल की। हम बात कर रहे हैं लखनऊ की रहने वाली बिटाना देवी (Bitna Devi) की, जिन्होंने अपनी कामयाबी से ना सिर्फ़ ने महिलाओं के लिए भी एक मिसाल क़ायम की है बल्कि राष्ट्रपति से पुरस्कृत होकर सभी को गौरवान्वित किया है। चलिए जानते हैं उनकी मोटिवेशनल सक्सेस स्टोरी…


बिटाना (Bitna Devi) का कहना है कि “मेरा जन्म रायबरेली के पास सेहगो गाँव में हुआ। मेरे पिताजी राम नारायण एक कृषक थे। जो अब नहीं रहे। खेती बाड़ी से ही परिवार का ख़र्चा चलता था। मेरे दो भाई और एक बहन है। जिनमें मैं सबसे छोटी हूँ। हमारे गाँव में लड़कियों का घर से बाहर जाकर पढ़ना खराब मानते हैं। मेरे परिवार वाले भी पुराने विचारों के ही थे। उन्होंने मेरे भाइयों को तो पढ़ाया, पर मुझे पढ़ाने में उनकी दिलचस्पी नहीं थी, फिर जैसे तैसे मैं पांचवी कक्षा तक पढ़ी। मुझे आगे भी पढ़ना था, पर मेरे माँ पिताजी इसके लिए तैयार नहीं थे और मेरी पढ़ाई छूट गई। फिर जब मैं जब 15 वर्ष की थी, तो मेरी शादी लखनऊ के निगोहा के रहने वाले हरिनाम से की गई।”

केवल 2 गायों से स्टार्ट किया था डेयरी उद्योग (Bitna Devi)

बिटाना देवी (Bitna Devi) उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज अंतर्गत निगोहा के मीरख नगर गाँव की निवासी हैं। वे केवल पांचवी कक्षा तक ही पढ़ी हैं और डेयरी उद्योग चलाती हैं। 28 वर्षों पूर्व सिर्फ़ दो गायों से ही उन्होंने इस काम की शुरुआत की थी। वे बताती हैं कि “1982 मेरे घर में पहला बेटा पैदा हुआ। उस समय मेरे पिता ने बच्चे को दूध पिलाने के लिए एक दिन बछड़ा खरीद कर दिया। उसकी मैंने ख़ूब सेवा की और वे बड़ी होकर 2 लीटर दूध देने लगी।

कुछ दूध बेटा पीता था बाकि जो दूध था उसका घर के लोग दही खाते थे। कुछ दिनों के बाद हमने एक और गाय खरीद ली। वर्ष 1990 में एक दिन मेरे घर पर पराग के प्रभारी यूवी सिंह पति से मिलने के लिए आये। उन्होंने घर में गायें बंधी हुई देखी। उन्होंने पति को गाय के साथ भैंस खरीदकर डेयरी उद्योग शुरू करने की सलाह दी। मेरे पति ने मुझसें डेयरी उद्योग शुरू करने को कहा। मुझें भी ये आईडिया काफ़ी पसंद आया। मैं इसके लिए तैयार हो गई। उसके बाद से ही हमने धीरे-धीरे गाय और भैसों खरीदना शुरू कर दिया।”
15 साल की आयु में हुआ था विवाह

बिटाना देवी का (Bitna Devi) विवाह केवल 15 साल की आयु में ही लखनऊ में हो गया था। उनके पति हरिनाम गवर्नमेंट टीचर हैं। विवाह के समय उनके पिताजी ने उन्हें भेंट में एक गाय और एक भैंस दी थी, वही कमाई का एकमात्र साधन था। बिटाना अपनी गायों और बछड़ों को बच्चों जैसा प्यार देती हैं, शायद इसीलिए आज वे डेयरी फर्म की एक कामयाब बिजनेस वूमेन हैं।
धीरे-धीरे कारोबार बढ़ता गया…

बिटाना ने गाय और भैंस का दूध बेचकर फिर एक गाय खरीद ली। उनकी जो भी आए होती थी उससे वे गाय भैंसे खरीद लेती थीं, इस प्रकार से लगातार उनके पास दुधारू पशुओं की संख्या बढ़ती गयी। उन्होंने वर्ष 1996 में डेयरी का यह व्यवसाय शुरू किया था। फिर धीरे-धीरे उनका यह बिजनेस विस्तृत होता गया। बिटाना देवी अपने परिवार का ख़र्च भी अपनी कमाई से ही चलाया करती हैं। उनको देखकर अन्य महिलाओं ने भी यह व्यवसाय स्टार्ट किया है।

अभी बिटाना ने आपने मेहनत के बल पर डेयरी उद्योग को बहुत बढ़ा लिया है और अब उनके पास 40 दूध देने वाले पशु हैं। वे रोजाना प्रातः 5 बजे उठकर मवेशियों को चारा और पानी देकर फिर उनका दूध निकालती हैं। दूध निकालने में उन्हें डेढ़ से 2 घंटे लगते हैं, फिर उस दूध को डेयरी तक पहुँचाने का कार्य भी वही किया करती हैं।

उन्होंने बताया कि “मैं ख़ुद ही लोगों से अपने काम के बारे में बात भी करती हूँ। मैंने पहले दूध निकालने के लिए मशीन भी खरीदी थी लेकिन मुझें वह मशीन से दूध निकलना रास नहीं आया।” अब तो बिटाना का कारोबार बुलंदियों को छू रहा है। वर्ष 2014-2015 में उन्होंने कुल 56, 567 लीटर दूध का उत्पादन किया। वे करीब 155 लीटर दूध रोजाना पराग डेयरी को सप्लाई करती हैं। इस समय उनके डेयरी फार्म से हर रोज़ 188 लीटर दूध का उत्पादन होता है।
कमाती हैं सालाना 15 से 20 लाख रुपए

बिटाना कहती हैं कि “मेरे पास इस समय कुल 35 गाय और भैंसे है। मैं सलाना 56 हज़ार लीटर के करीब दूध बेच लेती हूँ। दूध और खाद से हर साल 15 से 20 लाख रूपये तक कमाई हो जाती है। निगोहा, मोहनलालगंज, से लेकर लखनऊ के आस-पास के बहुत से गांवों और दुकानों में मेरे डेयरी फ़ार्म से हर रोज़ लगभग 5 हज़ार लीटर दूध सप्लाई होता है।” वे आगे बताती हैं कि “अब हमारा लक्ष्य 100 गाय और भैंसें खरीदने का है। मुझे बहुत बार अपने काम के सिलसिले में शहर भी जाना पड़ता है। लेकिन मैं बिल्कुल भी नहीं घबराती हूँ।”  

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