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20 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद, बाजार से बिजली खरीदकर आपूर्ति कर रही कंपनी, आज से स्थिति में और सुधार की उम्मीद, पटरी पर लौट रही राज्य में बिजली की आपूर्ति, पर्व-त्योहार में बिजली खपत 6000 मेगावाट : पर्व-त्योहार में बिहार की बिजली खपत 6000 मेगावाट से अधिक की है। सामान्य दिनों की तुलना में जरूरत से 500-700 कम मेगावाट बिजली आपूर्ति होने से लोडशेडिंग करनी पड़ी। दर्जनों ग्रिड को घंटों लोडशेडिंग में रखना पड़ा। राजधानी को छोड़ अन्य जिले के विशेषकर ग्रामीण व अर्धशहरी इलाकों में आठ से 10 घंटे तक बिजली गुल रही। इस कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा। दक्षिण बिहार की तुलना में उत्तर बिहार के जिलों में अधिक बिजली किल्लत हुई।
ऊर्जा सचिव सह बिजली कंपनी के सीएमडी संजीव हंस ने कहा कि पर्व-त्योहार के मद्देनज़र निर्धारित विद्युत आवंटन से लगभग 1000 मेगावाट से 1500 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की खरीदारी की जा रही है। कंपनी की कोशिश है कि राज्य के उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली दी जाए। देश में अभी विद्युत उत्पादकों को कतिपय व्यावसायिक एवं तकीनीकी कारणों से अतिरिक्त बिजली उपलब्ध कराने में संकट उत्पन्न हो गया है। अभी 20 रुपए प्रति यूनिट तक की दर से महंगी बिजली खरीदी जा रही है। इससे राज्य की वितरण कम्पनियों को बिजली मुहैया कराने में वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यह समस्या पीक अवधि में हो रही है। इस कारण कुछ क्षेत्रों में बिजली की कमी हो रही है। अब औसतन जिला मुख्यालयों में 22 घंटे तक बिजली उपलब्ध कराई जा रही है।
कोयला संकट के कारण अस्त-व्यस्त बिजली आपूर्ति धीरे-धीरे सुधर रही है। रविवार को केंद्रीय कोटे से 200 मेगावाट अधिक बिजली मिली। पवन ऊर्जा में भी वृद्धि हुई। हालांकि इसके बावजूद बिजली कंपनी ने खुले बाजार से अधिक दर पर 1000 मेगावाट से अधिक की खरीदारी कर बिजली आपूर्ति की। बिजली कंपनी के अधिकारियों को भरोसा है कि सोमवार-मंगलवार तक बिजली आपूर्ति पहले वाली स्थिति में आ जाएगी।
कंपनी अधिकारियों के अनुसार एनटीपीसी की कहलगांव की एक बंद यूनिट शुरू हो गई। इस कारण बिहार को 3000 मेगावाट के बदले 3200 मेगावाट बिजली मिली। हालांकि बिहार को 4500 मेगावाट का कोटा आवंटित है। इस तरह बिहार को आवंटित कोटे से 1300 मेगावाट कम बिजली मिली। वहीं, पिछले दो-तीन दिनों से बिहार को पवन ऊर्जा में 50 मेगावाट ही मिल रही थी। रविवार को यह बढ़कर लगभग 200 मेगावाट तक आ गई। निजी कंपनियों से लगभग 500-700 मेगावाट बिजली मिली। इसके बाद जरूरत के अनुसार बिहार ने खुले बाजार से 1000 मेगावाट से अधिक की खरीदारी की। शनिवार को कंपनी ने अधिकतम 5600 मेगावाट बिजली आपूर्ति की थी। रविवार की देर रात तक कंपनी ने इससे अधिक आपूर्ति की। वैसे बिहार में 6627 मेगावाट की रिकॉर्ड आपूर्ति भी हो चुकी है।
उत्पादन इकाइयों के पास पर्याप्त मात्रा में भंडार
एनटीपीसी के एक वरीय अधिकारी ने दावा किया कि कोयले संकट का प्रभाव बिहार की बिजली इकाईयों पर नहीं है। सभी उत्पादन इकाईयों के पास पर्याप्त मात्रा में कोयले का भंडार उपलब्ध है। कोयले की कमी को देखते हुए एनटीपीसी ने अपने कोयला खदानों से भी कोयला मंगा लिया है।
● 200 मेगावाट अधिक बिजली मिली, पवन ऊर्जा में भी वृर्द्धि
● एनटीपीसी की कहलगांव की एक बंद यूनिट शुरू हुई
FROM - HIM NEWS
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