भागलपुर रेलवे यार्ड में ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट लगाया जाएगा। इसके लिए टेंडर कर दिया गया है। अगले छह माह में यह सुविधा बहाल हो जाएगी। इससे भारी मात्रा में पानी की बर्बादी भी नहीं होगी। कोच की धुलाई में रिसाइकिल वाटर का इस्तेमाल किया जाएगा। यह सुविधा पहले चरण में भागलपुर के अलावा टिकियापाड़ा, आसनसोल और हावड़ा स्टेशन पर भी शुरू की जाएगी। दूसरे चरण में जमालपुर स्टेशन पर भी यह प्लांट लगाया जाएगा।
ऑटोमेटिक कोच र्वांशग प्लांट स्थापना से जहां पानी और समय की बचत होगी, वहीं साफ-सफाई में मैन पावर भी कम लगेगा। हालांकि डिपो और कोच शंटिंग यार्ड में साफ-सफाई होती है, लेकिन स्वचालित कोच र्वांशग प्लांट चालू होते ही दबाव कम हो जाएगा। अभी भागलपुर स्टेशन पर उपलब्ध आधा पानी ट्रेन की धुलाई और सफाई में ही खर्च हो जाता है। इस कारण कई बार गर्मी के दिनों में प्लेटफॉर्म पर पानी की किल्लत हो जाती है। वाटर बूथों पर रोटेशन में पानी दिया जाता है। जब ट्रेन की धुलाई और सफाई में ऑटोमेटिक प्लांट की स्थापना हो जाएगा तो पानी की किल्लत भी दूर हो जाएगी। प्लेटफॉर्म पर ज्यादा मात्रा में पानी उपलब्ध हो जाएगा। सीनियर डीएमई एसके तिवारी ने बताया कि इस प्लांट की स्थापना के लिए कवायद शुरू कर दी गई है। अभी टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। अगले छह महीने में यह सुविधा शुरू हो जाने की संभावना है।
एक ट्रेन की सफाई में सिर्फ आठ मिनट लगेगा
एक्सप्रेस, मेल सहित मेमू और डीएमयू जैसी ट्रेनों की कोच की साफ-सफाई में सिर्फ सात से आठ मिनट का समय लगेगा। जबकि यार्ड और र्शंंटग स्थल पर इसकी सफाई में करीब दो से तीन घंटे का समय लग जाता है। स्वचालित कोच र्वांशग प्लांट से समय की काफी बचत होगी। वहीं बड़ी मात्रा में पानी की बर्बादी पर रोक लगेगी। इस नई टेक्नॉलोजी से कोच की सफाई भी बेहतर तरीके से हो सकेगी। यह प्लांट बर्बाद हुए पानी को भी रिसाइकिल करता है, ताकि इसका उपयोग फिर किया जा सके। रेलवे का ये ऑटोमेटेड कोच वॉशिंग प्लांट इको फ्रेंडली है। परंपरागत तरीकों के मुकाबले इसमें कम पानी का इस्तेमाल होता है। ऐसे वर्ॉंशग प्लांट को लगाकर रेलवे जल संरक्षण मिशन को भी मजबूती देने का प्रयास कर रहा है। देश के कई स्टेशनों पर इस प्लांट की स्थापना कर दी गई है।
1000 लीटर की जगह शिर्फ 300 लीटर का होगा उपयोग
ऑटोमेटिक कोच र्वांशग प्लांट से सभी कोच की एक जैसी सफाई होगी। इसमें 12 चरण वाली स्वचालित र्वांशग इकाइयां लगायी जाएंगी, जो ऑटोमेटिक तरीके से कोच की सफाई करती हैं। मशीन में लगा सेंसर इसके चलने का सही समय निर्धारित करता है। मशीन कोच और इंजन को अलग-अलग तरीके से साफ करती है, ताकि इंजन में पानी के छिड़काव से उसे नुकसान नहीं हो। यह ऑटोमेटिक कोच र्वांशग प्लांट पानी की खपत को काफी हद तक कम कर देगा। मौजूदा सफाई प्रक्रिया में प्रति कोच लगभग एक हजार लीटर पानी की खपत होती है, जबकि ऑटोमेटिक कोच र्वांशग प्लांट से सफाई में 300 लीटर पानी की खपत होगी। इनबिल्ट इंफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट इस मशीन में उपयोग किए जाने वाले लगभग 80 फीसद पानी को रीसाइकिल करता है, जिससे पानी की खपत और भी कम हो जाती है। अधिकारी बताते हैं कि यह मशीन आठ किमी प्रतिघंटा की स्पीड तक कोच की सफाई कर सकती है। 24 कोच की एक ट्रेन को साफ करने में केवल 7 से 8 मिनट लगेगा।
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