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Thursday, September 23, 2021

बिहार में डिप्टी सीएम के रिश्तेदारों को 53 करोड़ का ठेका

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 भ्रष्टाचार की शिकायतों के बीच बिहार में हर घर नल का जल योजना में वरिष्ठ भाजपा नेता तारकिशोर प्रसाद के रिश्तेदारों को 53 करोड़ का ठेका दिए जाने का आरोप लगा है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने तत्काल एक्शन की मांग की है.हर घर नल का जल योजना बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी सात निश्चय योजना में से एक है. इन सभी योजनाओं को मुद्दा बनाकर सत्तारूढ़ जनता दल यू ने पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था. 

लगभग पांच साल पहले शुरू हुई इस योजना के तहत प्रदेश के करीब एक लाख से अधिक पंचायत वार्डों में हर घर तक पाइपलाइन के जरिए पीने का पानी पहुंचाने का लक्ष्य बनाया गया था. राज्य सरकार का दावा है कि इसके तहत 95 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है. इस योजना के कार्यान्वयन को लेकर नीतीश सरकार जितनी संवेदनशील है, लगभग उसी अनुपात में इसमें भ्रष्टाचार की शिकायतें भी सामने आईं हैं. नाते-रिश्तेदारों को सौंपे गए 36 प्रोजेक्ट इंडियन एक्सप्रेस की ताजा रिपोर्ट से यह योजना एक बार फिर चर्चा में है. इस योजना के ठेकेदारों के संदर्भ में कटिहार समेत राज्य के 20 जिलों में की गई पड़ताल में यह सामने आया है कि राज्य के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद की बहू पूजा कुमारी, उनके साले प्रदीप कुमार भगत और अन्य करीबी संतोष कुमार, प्रशांत चंद्र जायसवाल व ललित किशोर प्रसाद को नल जल योजना में 53 करोड़ का ठेका दिया गया. 

कटिहार जिले में लोक अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) द्वारा 2019-20 में नल जल योजना के तहत 36 प्रोजेक्ट डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद के नाते-रिश्तेदारों को सौंप दिए गए. तारकिशोर प्रसाद कटिहार से ही लगातार चौथी बार विधायक चुने गए हैं. अखबार को दी गई प्रतिक्रिया में तारकिशोर प्रसाद ने कहा है कि ये ठेके तब दिए गए जब वे विधायक थे. इनमें कोई अनियमितता नहीं की गई है. अपनी बहू को ठेका दिए जाने की बात से उन्होंने इनकार नहीं किया किंतु अपने साले प्रदीप कुमार भगत की कंपनियों से किसी तरह के संबंध को नकार दिया. उनका कहना था कि वे नवंबर 2020 में उप मुख्यमंत्री बने.

कंपनियों से सीधे तौर पर कोई संबंध नहीं है. फिर बिजनेस करने में कुछ भी गलत नहीं है. बहू को एक करोड़ साठ लाख का ठेका पूजा कुमारी के द्वारा पीएचईडी को ठेकेदारी के संबंध में सौंपे गए कागजात में भी तारकिशोर प्रसाद का पता जेबी निकेतन, मिरचावाड़ी चौक, गेराबाड़ी रोड, कटिहार दर्ज है. शहर से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित भवड़ा पंचायत के चार वार्डों में एक करोड़ साठ लाख के ठेके के लिए जून 2016 से जून,2021 तक कटिहार में पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता सुबोध शंकर ने मंजूरी दी है. सुबोध शंकर के अनुसार पूजा कुमारी ने काम पूरा कर लिया है और उन्हें 63 फीसद राशि का भुगतान कर दिया गया है. अंग्रेजी अखबार की टीम जब उस वार्ड में पहुंची तो लोगों ने काम में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायत की. वहीं भवड़ा पंचायत के वार्ड नंबर चार के पंप ऑपरेटर संजय मंडल तथा वार्ड नंबर दस के पंप ऑपरेटर राजेंद्र झा ने टीम को बताया कि उन्हें काम पर प्रदीप कुमार भगत ने ही रखा है. उनके जरिए ही वे ऑपरेटर बने हैं तथा भगत को ही रिपोर्ट करते हैं. इन दोनों वार्ड का काम तो पूजा कुमारी को मिला था 

लेकिन वह कभी साइट पर नहीं आईं और काम प्रदीप कुमार भगत ने ही करवाया. वहीं वर्तमान में अररिया जिले में तैनात कटिहार में पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता रहे सुबोध शंकर का कहना है कि 2019-20 में पूजा कुमारी, दीपकिरण तथा जीवनश्री इंफ्रास्ट्रक्चर को मेरी कार्य अवधि के दौरान दिए गए ठेके पूरी तरह सही हैं और ठेके पूरी प्रक्रिया का पालन करके दिए गए हैं. साले को तीन करोड़ साठ लाख का काम भवड़ा पंचायत के कुल 13 वार्डो में नौ में काम का ठेका दीपकिरण इंफ्रास्ट्रक्टर प्राइवेट लिमिटेड को मिला है जिसके निदेशक डिप्टी सीएम के साले प्रदीप कुमार भगत और उनकी पत्नी (सलहज) किरण भगत हैं. नौ वार्डों में नल जल योजना के काम के लिए प्रदीप की कंपनी को तीन ठेके दिए गए हैं. उनके अनुसार सरकार उन्हें अब तक एक करोड़ 80 लाख का भुगतान कर चुकी है. हालांकि अभी कई स्तर पर काम पूरा किया जाना बाकी है.

अखबार की टीम से इन वार्डों के लोगों ने भी काम में अनियमितता की शिकायत की. कटिहार के नौ पंचायतों के 110 वार्डों में नल जल योजना के तहत 48 करोड़ का ठेका जीवनश्री इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया. इसके तीन निदेशक प्रशांत चंद्र जायसवाल, संतोष कुमार व ललित किशोर प्रसाद हैं. जिनमें दो डिप्टी सीएम के रिश्तेदार बताए जाते हैं. यह भी पता चला है कि साइट पर इस कंपनी का काम भी तारकिशोर प्रसाद के साले प्रदीप कुमार भगत ही करवा रहे हैं. 

इस पंचायत के वार्ड नंबर आठ (जहां का काम जीवनश्री को मिला है), के पंप ऑपरेटर ने भी बताया कि उसे प्रदीप कुमार भगत ही काम के एवज में प्रतिमाह तीन हजार रुपये का भुगतान करते हैं. अखबार से बातचीत में प्रशांत चंद्र जायसवाल ने स्वीकार किया कि वे डिप्टी सीएम से जुड़े हैं, वहीं ललित किशोर प्रसाद ने उनसे किसी तरह के सीधे जुड़ाव से इनकार किया. टीम को जीवनश्री के कर्मचारी बबलू गुप्ता ने बताया कि यह कंपनी पहले रियल इस्टेट का काम करती थी. बोले मंत्री, शिकायत आएगी तो जांच होगी मीडिया में पूरे प्रकरण का रहस्योद्घाटन होने के बाद बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री श्रवण कुमार ने कहा, "उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है. अगर कोई शिकायत आएगी तो इसकी जांच की जाएगी" डिप्टी सीएम के नाते-रिश्तेदारों को ठेका दिए जाने के संबंध में जब इंडियन एक्सप्रेस की टीम ने राज्य के पीएचईडी मंत्री रामप्रीत पासवान से पूछा तो उन्होंने ऐसी किसी जानकारी से इनकार किया. 

वहीं पीएचईडी विभाग के सचिव जीतेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि विभाग में ठेका दिए जाने में नियमों व प्रक्रिया का पालन किया जाता है. उन्हें ठेके दिए जाने के संबंध में राजनेताओं के हस्तक्षेप की शिकायत नहीं मिली है. अगर कोई शिकायत आएगी तो जांच की जाएगी. इधर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि तारकिशोर प्रसाद के खिलाफ उनके पास पर्याप्त सबूत हैं, जिसे वक्त आने पर वह सार्वजनिक करेंगे.

सरकार को तत्काल एक्शन लेना चाहिए. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता आसित नाथ तिवारी ने कहा कि जिस दिन ठेका पट्टा आवंटन की जांच हो जायेगी, उस दिन साफ हो जाएगा कि बिहार में भ्रष्टाचार किस हद तक फैला हुआ है. भ्रष्टाचार के घेरे में रही है नल-जल योजना सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना में भ्रष्टाचार की शिकायतें आम बात हो गई है. सरकार को भी विभिन्न फोरम पर इसकी जानकारी मिलती रही है. 

घपले का आलम यह है कि कई जगहों पर तो पहली बार पानी भरते ही टंकी जमींदोज हो गई. औरंगाबाद जिले के बारुण प्रखंड की भोपतपुर पंचायत के घोरहा गांव के वार्ड नंबर एक में पहली बार पानी भरते ही टंकी भरभराकर गिर गई. पटना जिले के मोकामा प्रखंड अंतर्गत दरियापुर पंचायत के वार्ड नंबर नौ में भी ऐसा ही हादसा हुआ. मुजफ्फरपुर नगर निगम के वार्ड नंबर 41 के रामबाग इलाके में तो निर्माणाधीन स्ट्रक्चर ही स्वत: ध्वस्त हो गया. यहां तक कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा के सिलाव प्रखंड अंतर्गत पाकी गांव में पानी की टंकी पानी भरते ही ढह गई. नाम नहीं छापने की शर्त पर पीएचईडी विभाग के एक अधिकारी बताते हैं, "इस योजना में घपले का हाल भी सोलर योजना वाला होगा. 

जैसे उसमें राज्यभर के लगभग सभी मुखिया पर मामला दर्ज हुआ था, ठीक उसी तरह पूरी पारदर्शिता के साथ जांच हो जाए तो नल जल योजना में भी कोई बचेगा नहीं" शायद यही वजह है कि भ्रष्टाचार के आरोप में प्रदेश में सैकड़ों मुखिया के अलावा कई ठेकेदार, सुपरवाइजर व पंचायत सचिव के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जा चुकी है. वहीं शिकायतों को एक निश्चित समय अवधि में दूर करने के उद्देश्य से सरकार ने हर घर नल का जल योजना को बिहार लोक सेवाओं के अधिकार अधिनियम के तहत शामिल किया है. गरीबों के घर तक पीने का पानी पहुंच सका या नहीं, यह कहना तो मुश्किल है, किंतु इतना तो तय है राजनेताओं के घर आम जनता के पैसे के दुरुपयोग से जरूर भर गए.. 

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