ऐसे में पटना-गया-डोभी फोरलेन सड़क बन जाने के बाद पटना से वाराणसी जाने के लिए अलग से बेहतर वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हो सकेगा. इस सड़क परियोजना का निर्माण कार्य करीब 10 साल पहले शुरू हुआ था, लेकिन जमीन अधिग्रहण सहित अन्य समस्याओं की वजह से अब तक अधूरा है.
इसे लेकर पिछले दिनों नयी दिल्ली में एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारियों और परियोजना के ठेकेदार सोमा-रोडिस के बीच बैठक हुई. इस बैठक में सभी समस्याओं का निराकरण कर एनएचएआई ने फिर से काम शुरू करने की जिम्मेदारी पुराने ठेकेदार को सौंपी है.
सूत्रों के अनुसार औरंगाबाद से वाराणसी तक इस सड़क परियोजना में जमीन अधिग्रहण की बड़ी समस्या थी. इसका समाधान हो चुका है और करीब 95 फीसदी जमीन ठेकेदार को उपलब्ध करवा दी गयी है.
करीब 192 किमी लंबाई में इस सड़क का करीब 135 किमी हिस्सा बिहार और 57 किमी उत्तर प्रदेश में है. 2011 में इसका निर्माण कार्य शुरू होने के समय इसकी लागत करीब 2848 करोड़ रुपये होने का अनुमान था. अब 10 साल बाद इसका निर्माण फिर से शुरू होने पर लागत बढ़ने की संभावना है.
FROM - HIM NEWS
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