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Wednesday, July 28, 2021

जयपुर चूड़ी फैक्ट्री में बच्चों से 16 से 18 घंटे कराया काम, रीढ़ हो गई टेढ़ी, मुक्त कराए बच्चों के पीठ में असहनीय दर्द

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फूलों जैसे कोमल हाथ 16-18 घंटे चूड़ी पर नग बैठाने के काम में लगे रहते हैं। दिन-रात एक सी मुद्रा में बैठे रहना, खाने में चावल और सब्जी और आराम के नाम पर सिर्फ छह घंटे की नींद। न खेल, न खिलौने, कांच और लाह की चूड़ियों में बचपन को तलाशने वाले बालश्रमिकों के रीढ़ टेढ़ी हो गई है। उनकी पीठ में असहनीय दर्द है।


तीन जुलाई को जयपुर की चूड़ी फैक्ट्री मुक्त कराये गये 92 बालश्रमिक राजधानी लाये गये। जब ट्रेन से एक बच्चे को व्हील चेयर से उठाया गया तो बाल कल्याण समिति के सदस्यों की आंखों में आंसू आ गये। वह समस्तीपुर का रहने वाला था। 14 साल का बाल श्रमिक चूड़ी फैक्ट्री में इतना काम कराया जाता था कि उसकी रीढ़ की हड्डी जकड़ गई और इसका नतीजा यह हुआ कि उसके पूरे शरीर में लकवा मार दिया है।

जयपुर चूड़ी फैक्ट्री से मुक्त कराये गये अधिकतर बच्चे पीठ दर्द से ग्रसित मिल रहे हैं। पिछले साल से अब तक जयपुर चूड़ी फैक्ट्री से मुक्त कराये गये दो सौ से अधिक बाल श्रमिक अपने घर लौट गये हैं। लेकिन इन बच्चों का सामान्य जिन्दगी में लौटना बहुत मुश्किल हो गया। बाल संरक्षण विशेषज्ञ सुरेश कुमार बताते हैं कि इस साल अब तक जयपुर चूड़ी फैक्ट्री से 272 बालश्रमिक मुक्त हुए हैं। इसमें से 112 बालश्रमिक गया के थे। काउंर्सिंलग के दौरान अधिकतर बालश्रमिकों ने रीढ़ में दर्द की बात बतायी है। कई बच्चों का इलाज भी चल रहा है।
नग लगाने में होती है जरूरत

जयपुर की चूड़ी फैक्ट्री में जरी का काम करने के लिए बच्चों के लिए छोटे-छोटे ऊंगलियों की जरूरत होती है। इसके लिए बिहार से भारी संख्या में बाल श्रमिकों को जयपुर ले जाया जाता है।
गया से सबसे अधिक बच्चों की तस्करी

गया: 27, समस्तीपुर:10, नालंदा:06, सीतामढ़ी :16, वैशाली : 07, मुजफ्फरपुर: 08, सहरसा:01, दरभंगा:03, कटिहार:04, जहानाबाद: 07, नवादा: 03 है। जयपुर की चूड़ी फैक्ट्री में जाने वाले सबसे अधिक बच्चे गया के मिल रहे हैं। पिछले साल से अब तक गया के ही सबसे अधिक बच्चे जयपुर चूड़ी फैक्ट्री से मुक्त कराये गये हैं। इसमें चार बच्चों की मौत हो गयी है। चारों बच्चों को चूड़ी फैक्ट्री में बहुत प्रताड़ित किया जाता था। भूख और बीमारी से बच्चों की मौत हो गई। इसमें दो बच्चों का शव भी परिवार वालों को नसीब नहीं हुआ। 

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