भारत में पिछले कुछ समय से ऊंची चल रहे खाद्य तेल के दामों में अब कमी आती दिख रही है. लोगों को बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए सरकार ने इंपोर्ट डयूटी कम करने समेत कई कदम उठाए हैं. जिससे लोगों को अब तेल की महंगी कीमतों से राहत मिलने लगी है.
जानकारी के मुताबिक भारत में खाद्य तेलों (Edible Oil) का उत्पादन कम है, खपत ज्यादा. ऐसे में भारत विदेश से बड़ी मात्रा में खाद्य तेल इंपोर्ट करता है. भारत में खाद्य तेल की कीमतों पर डोमेस्टिक प्रोडक्शन के साथ ही इंटरनेशनल मार्केट का भी असर पड़ता है. अगर भारत में डिमांड ज्यादा है और बाहर सप्लाई कम है तो रेट बढ़ जाते हैं. वहीं अगर देश और विदेश में तेलों का उत्पादन ज्यादा हो तो दामों में कमी आ जाती है.
20 फीसदी तक गिरे दाम
केंद्रीय खाद्य उपभोक्ता मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य तेलों की कीमतों (Edible Oil Prices) में करीब 20 फीसदी तक की कमी आई है. मंत्रालय के मुताबिक सोयाबीन की अगली फसल अक्टूबर में आएगी. फिलहाल मंडियों में सोयाबीन के बेहतर दाने की आवक कम है. सरकार के फैसले के बाद खाद्य तेलों के नए दाम:-
– पॉम आयल के दाम 142 रुपये प्रति किलो घटकर 115 रुपये किलो ग्राम तक हो गए हैं. इस तरह से इसकी कीमतों में करीब 19 फीसदी की कमीं आई है.
– सूरजमुखी का तेल मई 21 में 188 रुपये प्रति किलो था. जिसके दाम 16 फीसदी की गिरावट के साथ अब 157 रुपये प्रति किलो पर आ गए हैं.
– सोया ऑयल की कीमतों में 15 फीसदी तो सरसों तेल की कीमतों में करीब 10 फीसदी की कमी आई है.
– सरसों के तेल की बात करें तो वह 16 मई को 175 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा था. अब उसके दाम 157 रुपये प्रति किलो हो गए हैं. उसके दामों में 10 प्रतिशत की कमी आई है.
– नारियल तेल के दाम पिछले महीने 190 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए थे. उसके दामों में 8 फीसदी की कमी हुई है और वह अब 174 रुपये प्रति किलो पर बिक रहा है.
– अगर वनस्पति घी की बात करें तो पिछले महीने इसके दाम 154 रुपये किलो तक पहुंच गए थे. अब इसके दामों में भी 8 फीसदी की कमी आई है और यह 141 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है.
उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश
सूत्रों के मुताबिक भारत में खाद्य तेलों की मांग और आपूर्ति में अंतर बहुत ज्यादा है. इसकी वजह ये है कि भारत में खाद्य तेलों की मांग के अनुपात में उत्पादन काफी कम है. जिसके चलते उसे विदेशों से आयात पर निर्भर रहना पड़ता है. सरकार अब इस समस्या का स्थाई समाधान करने के लिए मिड और लॉन्ग टर्म उपाय करने की दिशा में आगे बढ़ रही है.
सरकार अब देश में खाद्य तेलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए योजना तैयार कर रही है. इसके लिए किसानों के लिए योजना और प्रोत्साहन राशि की भी घोषणा हो सकती है. सरकार चाहती है कि किसान अपनी फसलों में फेरबदल करके खाद्य तेलों को पैदा करने को प्राथमिकता दें. ऐसा करने से किसानों की कमाई भी बढ़ जाएगी और साथ ही देश की जरूरतें भी पूरी हो जाएंगी.
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