जयपुर (jaipur) . राजस्थान में कोरोना (Corona virus) संक्रमण के बीच ब्लैक फंगस पांव पसार रहा है. प्रदेश में अब तक आठ सौ से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. ऐसे में इलाज में उपयोग किए जा रहे जीवररक्षक लाइपोसोमल एम्पोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की बाजारों में कमी देखी जा रही है. इंजेक्शन की कमी के चलते राज्य सरकार (State government) ने ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए पचास हजार इंजेक्शन मांगे थे, लेकिन अब तक सात सौ ही मिले हैं. अब सरकार ग्लोबल टैंडर के जरिए 2500 वायल खरीदेगी. जानकारी के मुताबिक, राज्य में ब्लैक फंगस की लगातार दस्तक और इसके इंजेक्शन की कमी के चलते इसकी कालाबाजारी शुरू हो गई है.
कोरोना में जैसे रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही थी, वैसे ही अब ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की हो रही है. अमूमन 400- 500 रूपए में मिलने वाली दवाओं की कीमत अब बढ़ाकर 800- 900 रूपए कर दी गई है. 80 फीसदी तक दाम बढ़ जाने के बावजूद ड्रग विभाग चुप्पी साधे हुए है. बताया जा रहा है कि ब्लैक फंगस बीमारी में 70 किलो के मरीज को 300 मिलीग्राम यानी 42 इंजेक्शन लगाने होते हैं. ब्लैक फंगस के खतरे को देखते हुए राज्य के सबसे बड़े अस्पताल सवाई मानसिंह में स्पेशल यूनिट खोली गई है, लेकिन वह दो दिन में ही फुल हो गई.
एसएमएस प्रशासन का कहना है कि ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए 11 विभागों के 22 डाक्टरों को चिकित्सा की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसके अलावा अस्पतालों को कोरोना संक्रमितों को सीमित मात्रा में स्टेरॉयड देने के निर्देश दिए जा रहे हैं. निचे दी गयी ये खबरें भी जरूर पढ़ें
FROM - HIM NEWS
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