केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, दोनों की प्राथमिकता में गरीबी उन्मूलन शामिल है। गरीबी मिटाने के लिए सरकार कई योजनाओं को धरातल पर लाने की कवायद में कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही है। इसके बावजूद चंबा शहर में कई बच्चे कूड़े से प्लास्टिक व अन्य वस्तुएं उठाकर बेच रहे हैं। ऐसे में उनका भविष्य सुनहरा कैसे होगा।
हैरत यह है कि कूड़े से प्लास्टिक एकत्रित करने वाले अधिकतर बच्चे दो वक्त की रोटी के लिए ऐसा कर रहे हैं। गरीबी के समक्ष घुटने टेक चुके ऐसे बच्चों के माता-पिता उनके भविष्य को लेकर संजीदा नजर नहीं आते हैं। सरकार व स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा ऐसे बच्चों को स्कूली स्तर पर शिक्षा से जोड़ने के दावे किए जाते हैं। इसके बावजूद स्थिति धरातल पर अलग है। ऐसे दावे हवा में नजर आते हैं।
कूड़े में से विभिन्न वस्तुएं उठाने वाले बच्चे चंबा के सभी उपमंडलों में नजर आते हैं। बुधवार को जिला मुख्यालय चंबा में कुछ बच्चे पीठ पर थैला उठाकर कूड़े से प्लास्टिक एकत्रित कर रहे थे। इन बच्चों ने बताया कि वे चंबा के रहने वाले हैं और पढ़ाई नहीं करते हैं। वे काफी समय से कूड़े से प्लास्टिक की बोतलें व अन्य सामान एकत्रित कर बेचते हैं।
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