
भारत देश में बहुत से प्राचीन मंदिर हैं, जिनकी अलग-अलग मान्यताएं मानी जाती है। वैसे तो हर मंदिर से भक्तों को लड्डू या कोई अन्य मिठाई प्रसाद के तौर पर दी जाती है, लेकिन क्या आपने कभी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है भक्तों को प्रसाद के रूप में गहने मिलते हैं। इस मंदिर में आने वाले भक्त सोने-चांदी के सिक्के लेकर घर जाते हैं।
मां महालक्ष्मी के इस मंदिर में सालों भर भक्तों की भीड़ रहती है। भक्तजन यहां आकर करोड़ों रुपये के जेवर और नकदी माता के चरणों में चढ़ाते हैं। दीपावली के अवसर पर इस मंदिर में धनतेरस से लेकर पांच दिन तक दीपोत्सव का आयोजन किया जाता है।
इस दौरान मंदिर को फूलों से नहीं बल्कि भक्तों द्वारा चढ़ाए गए गहनों और रुपयों से सजाया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दीपोत्सव के दौरान मंदिर में कुबेर का दरबार लगाया जाता है। इस दौरान यहां आने वाले भक्तों को प्रसाद स्वरूप गहने और रुपये-पैसे दिए जाते हैं।
दीपावली के दिन इस मंदिर के कपाट 24 घंटे खुले रहते हैं। कहा जाता है कि धनतेरस पर महिला भक्तों को यहां कुबेर की पोटली दी जाती है। यहां आने वाले किसी भी भक्त को खाली हाथ नहीं लौटाया जाता। उन्हें कुछ न कुछ प्रसाद स्वरूप दिया ही जाता है।
मंदिर में गहनों और रुपयों को चढ़ाने की परंपरा दशकों से चली आ रही है। पहले यहां के राजा राज्य की समृद्धि के लिए मंदिर में धन आदि चढ़ाते थे और अब भक्त भी यहां जेवर, पैसे वगैरह माता के चरणों में चढ़ाने लगे हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनके घरों में मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।
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