­

Monday, November 2, 2020

देश में पहली बार हींग ही नहीं, केसर भी पैदा करेगा हिमाचल, दो जिलों में ट्रायल सफल

loading...

हिमाचल अब हींग के साथ केसर का भी उत्पादक बनेगा। दोनों के सफल ट्रायल लाहुल स्पीति और मंडी में हुए हैं। केसर का ट्रायल हालांकि लाहुल में पहले भी सफल रहा था, अब इसकी खेती शुरू करने की तैयारी है। हींग की खेती शुरू होने से अन्य देशों पर भारत की निर्भरता खत्म हो जाएगी। मंडी में भी हींग जंजैहली क्षेत्र में तैयार किया जा रहा है। वहीं जिन क्षेत्रों में केसर लगाया गया था, वहां इसमें फूल आ गए हैं। इससे लाहुल के बाद मंडी में भी केसर की खेती आरंभ होने की संभावना प्रबल हो गई है।

हिमालय जैव संपदा एवं प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आइएचबीटी की पहल का ही असर है कि केसर और हींग को हिमाचल में तैयार किया जा रहा है। 10000 फीट से अधिक ऊंचाई पर होने वाले इनके पौधों का सबसे पहले ट्रायल लाहुल स्पीति में स्थित संस्थान की प्रयोगशाला में हुआ। इसके बाद इसे लाहुल की जमीन पर रोपा गया। वहां पर ट्रायल सफल होने के बाद अब इसे मंडी, किन्नौर, रामपुर, पांगी में रोपा गया है। हींग और केसर दोनों की खेती में अगर संस्थान सफल रहता है तो प्रदेश के किसानों को आय का स्रोत मिलेगा। वहीं, देश में हींग और केसर की मांग भी पूरी हो सकेगी।

2008-09 केसर पर हुआ था पहला ट्रायल: जम्मू कश्मीर में केसर के बीमारी में चपेट में आने के कारण पहली बार 2008-09 में इस प्रोजेक्ट पर काम आरंभ हुआ था। इस दौरान लाहुल स्पीति, रामपुर, भरमौर और पांगी में इसे उगाया गया था। जहां पर इसका ट्रायल सफल रहा था। बता दें कि केसर के लिए अनुकूल तापमान और नमी वाली जमीन की जरूरत होती है।

केसर के मंडी में 10-10 किलो कंद दिए गए उगाने को मंडी जिला की मुरहाग पंचायत के तांदी आहण और थरजूण के खन्यारी गांव में किसान तेज सिंह, पम्‍मी राम, आहण के चुन्‍नी लाल, धनी राम, चमन लाल, बंसी राम तथा तांदी के अनंत राम व मोहर सिंह ने केसर के पौधे लगाए हैं, इनमें फूल आ गए हैं। किसानाें को 10-10 किलो केसर के कंद उगाने के लिए दिए गए हैं।

2100 पौधे रोपे जाएंगे हींग के संस्थान तीन जिलों में हींग के 2100 पौधे रोपेगा। इसमें लाहुल स्पीति में 800, किन्नौर में 1000 और मंडी के जंजैहली में 300 पौधे लगाए जाने हैं। इनको बीज के लिए लगाया जा रहा है। बता दें कि केलंग में इससे पहले 2018 में रिवलिंग गांव में पौधे रोपे थे। हींग के एक पौधे से 25 ग्राम हींग निकलता है।

औषधीय गुणों से भरपूर हैं हींग व केसर हींग व केसर की औषधीय गुणों के कारण दुनिया भर में मांग रहती है। हींग का प्रयोग जहां खाने में डालने के लिए किया जाता है, वहीं केसर सुंगध के तौर पर इस्तेमाल होता है। यह दोनों रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। ऐसे में इनको घरों में खाना पकाने के साथ-साथ दवाओं में भी प्रयोग किया जाता है। हींग की सबसे अधिक डिमांड दक्षिण क्षेत्र में रहती है। भारत में हींग फिलहाल अफगानिस्तान, ईरान, उज्बेकिस्तान से आयात होता है। वहीं केसर की खेती अभी जम्मू-कश्मीर में होती है।

खाने का जायका बनाता है, गैस की समस्‍या करता है कम हींग शरीर में वात व कफ को ठीक करता है। साथ ही शरीर में पित्त के स्तर को बढ़ाने में मददगार होता है। इसके सेवन से भूख बढ़ती है। हालांकि इसकी खुशबू इतनी अच्छी नहीं होती। लेकिन खाने में यह जायका लाता है। साथ ही खाने में इसके प्रयोग से गैस की समस्या काफी हद तक कम होती है। भारत के लगभग हर हिस्से में हींग का प्रयोग खाने में किया जाता है। यह पाउडर और ठोस दोनों में उपलब्ध होता है।

बच्‍चों व बुजुर्गों सहित गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद केसर का प्रयोग बच्चों और बड़ों दोनों के लिए लाभदायक होता है। गर्भवती महिलाओं को दूध में मिलाकर यह पिलाया जाता है। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी अल्जाइमर, मिर्गी के दौरे को रोकने के तत्व मौजूद होते हैं। यह भूख बढ़ाने सहित हाजमे को मजबूत करने में मुख्य भूमिका निभाता है। अपने इन बेहतरीन गुणों के कारण ही इसका दाम काफी अधिक होता है।
from HIM NEWS
loading...
loading...

Post Comments

No comments:

Post a Comment

Back To Top