
हिमाचल में मक्का की फसल के दाम आधे से भी कम हो गए हैं। हिमाचल के किसान परेशान हैं। पहले फाल आर्मी वर्म (सूंडी) ने मक्की पर हमला किया। तीन-तीन बार कीटनाशक का छिड़काव कर जैसे-तैसे फसल को बचाया। फिर मौसम और जंगली जानवरों ने भारी नुकसान पहुंचाया। कड़ी मेहनत के बाद अब बचीखुची फसल का मेहनताना मिलने का वक्त आया तो दाम औंधे मुंह गिर गए हैं। पिछले साल बीबीएन में 2200 रुपये प्रति क्विंटल बिकने वाली मक्की को इस बार 800 से 1000 रुपये मिल रहे हैं।
बिलासपुर में 1600 की जगह 800 से 1000 जबकि ऊना में 1750 से गिरकर 800 रुपये प्रति क्विंटल दाम मिल रहे हैं। एक क्विंटल उत्पादन पर 1500 से 1600 रुपये खर्च आता है। ऐसे में किसानों को लागत भी नहीं मिल पा रही है जबकि सरकार ने मक्की का समर्थन मूल्य 1888 रुपये प्रति क्विंटल तय कर रखा है। अकेले बीबीएन में ही 4800 हेक्टेयर जमीन पर मक्की की फसल उगाई जाती है। यहां 10,000 मीट्रिक टन तक मक्की का उत्पादन होता है।
यूपी, बिहार, एमपी में बंपर फसल ने गिराए दाम दाम गिरने की सबसे बड़ी वजह यूपी, बिहार और एमपी में बंपर फसल होना बताया जा रहा है। इसके अलावा कोविड के चलते फैक्ट्रियों में मक्की उत्पादों का प्रोडक्शन कम होना, पोल्ट्री फार्म बंद होने से भी मक्की की मांग कम हुई है।
मात्र नूरपुर अनाज मंडी में ही मक्की बेचने की व्यवस्था
कृषि विभाग के निदेशक नरेश कुमार बधान ने बताया कि केवल कांगड़ा के नूरपुर में ही मक्की बेचने के लिए मंडी में व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि अब लोग मक्की अपने खाने के लिए ही उगाते हैं। लोग मक्की छोड़कर अन्य नकदी फसलें उगा रहे हैं।
FROM - HIM NEWS
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