हिमाचल की राजधानी शिमला के साथ लगती डुम्मी पंचायत में जातिगत भेदभाव का मामला सामने आया है. कई वर्षों से यहां अनुसूचित जाति के लोग जातिवाद का दंश झेल रहे हैं. पीड़ितों का कहना है कि आज भी उनको नाम से नहीं बल्कि जाति के नाम से पुकारा जाता है. मंदिर के दरवाजे उनके लिए बंद हैं, यहां तक कि पंचायत में जो पीने के पानी की बावड़ी है उन्हें वहां बाहर लगे नलके से पानी भरने को कहा जाता है. पीड़ितों द्वारा इस भेदभाव को शिकायत करने पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है.
शिकायकर्ताओं के मुताबिक भेदभाव करने वाले सभी लोग ऊंची जाति के नहीं हैं, बल्कि केवल चंद दबंग लोग हैं. यह सिर्फ एक पंचायत की कहानीभर नहीं है बल्कि पूरे प्रदेश के अधिकतर गांवों की कड़वी सच्चाई है. अब 28 वर्षीय एक युवती ने इसके खिलाफ खुलकर आवाज उठाई है. आरोप है कि गांव के चंद दबंग अपने लिए अलग रास्ता बनाना चाहते हैं ताकि उन्हें पहले से बने उस रास्ते से ना गुजरना पड़े जहां से सभी लोगों (छोटी जाति) का भी आना-जाना है. इस मुद्दे पर पंचायत की प्रधान राधा से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. पंचायत के उप-प्रधान मनोहर सिंह ने फोन पर बातचीत में कहा कि दबंगई का कोई मामला नहीं है. मनोहर सिंह के मुताबिक पंचायत में जातिगत भेदभाव की शिकायत कभी नहीं आई लेकिन पीठ पीछे यह बातें इसलिए होती हैं क्योंकि बुजुर्गों के समय से प्रथाएं चली आ रही हैं. मंदिर और पानी की बावड़ी को लेकर भी सदियों से चले आ रहे नियमों का पालन किया जाता रहा है. हालांकि मनोहर सिंह यह बात तो मान रहे हैं कि जातिगत भेदभाव होता है लेकिन पंचायत में इससे जुड़ा मामला नहीं आया.लक्कड़ बाजार चौकी में दी गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने सदर थाने में एफआईआर दर्ज की है. इस पर एएसपी प्रवीर ठाकुर ने कहा कि शिकायत में मंदिर कमेटी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं. उन्होंने कहा कि जांच करा कर उचित कार्रवाई की जाएगी.
No comments:
Post a Comment