
ग्रामीण का कहना था कि यहां पर चीन ने दो माह के भीतर ही काफी अंदर तक रोड बना लिया है, जबकि किन्नौर के चारंग गांव से आगे कोई रोड नहीं है। यहां से तिब्बत की सीमा 30 से 40 किलोमीटर दूर है। ऐसे में ग्रामीण सरकार से यह भी मांग करता दिख रहा है कि वह गांव से आगे रोड बनाए, ताकी चीन को हिमाचल के अंदर घुसने से रोका जा सके। ग्रामीण ने तो यह भी बताया कि यहां पर पांच से छह मशीनें चाइना की लगी हैं, जोकि रोड बनाने का काम कर रही है। इसके अलावा डंपर समेत अन्य उपकरण भी लगे हुए हैं। वहीं, उपायुक्त किन्नौर गोपाल चंद का कहना है कि जितने भी गांव किन्नौर के इंटरनेशनल बार्डर एरिया के साथ लगते हैं, वहां पर शांति है। आईटीबीपी और सेना से लगातार प्रशासन का संपर्क है। सेना की मूवमेंट गोपनीय होती है, ऐसे में सेना की मूवमेंट की ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन अभी हिमाचल सीमा पर किसी तरह की तनाव की स्थिति नहीं है।
प्रदेश के साथ 242 किलोमीटर लंबी सीमा
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर और लाहुल-स्पीति में करीब 242 किलोमीटर का इलाका चीन अधिकृत तिब्बत से लगता है। स्पीति में समधो बार्डर है। इसी समधो बार्डर पर मार्च और अप्रैल में चीनी हेलिकाप्टर्स की आवाजाही देखी गई थी। उधर, बीते माह शिमला में भी सेना को मिले अत्याधुनिक हेलिकाप्टर चिनूक की भी गरजना लोगों को सुनने को मिली थी।
FROM - HIM NEWS
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