
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने नियामक आयोग के अध्यक्ष अतुल कौशिक को ज्ञापन सौंपा और उनके समक्ष मांगे रखी। विद्यार्थी परिषद 2008 से ही निजी क्षेत्र में हो रहे शिक्षा के व्यापारी करण के खिलाफ आवाज उठाता रहा है और विद्यार्थी परिषद के ही कारण हिमाचल में फर्जी डिग्रियों का मामला उजागर हुआ। जिसके चलते नियामक आयोग ने चार निजी विश्वविद्यालय जिसमें मानव भारती इंडस यूनिवर्सिटी एपीजी यूनिवर्सिटी और अरणी यूनिवर्सिटी के दाखिले पर रोक लगाई।
प्रांत मंत्री राहुल राणा ने बताया कि जिन चार निजी विश्वविद्यालय के दाखिले इस बार आयोग ने रद्द किए थे उन निजी विश्वविद्यालय के ऊपर जांच कमेटी का गठन किया जाए और अभी भी अनियमितताएं पाई जाती हैं तो इन विश्वविद्यालय की मान्यता रद्द की जाए और विश्वविद्यालय के अंदर एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति की जाए। मानव भारती और इंडस यूनिवर्सिटी ने अपने रेगुलर कर्मचारियों को एक ही समय पर रेगुलर प्रोफेशनल डिग्री गैरकानूनी तरीके से प्रदान कर दी है।
अतः विद्यार्थी परिषद मांग करता है कि इन डिग्रियों को पूर्ण रूप से रद्द किया जाए और इन विश्वविद्यालय के ऊपर भारी जुर्माना लगाया जाए ताकि यह विश्वविद्यालय आगे से ऐसी गैर कानूनी कार्य ना करें। विद्यार्थी परिषद ने पाया कि करोना काल में निजी विश्वविद्यालयों ने अपने छात्रों से भारी फीस वसूली है और जिस में बिना किसी तर्क के ट्रांसपोर्टेशन फीस मैस फीस और हॉस्टल फीस लूट ली है। ना तो छात्रों ने ट्रांसपोर्टेशन का और न ही मेस का और ना ही हॉस्टल का प्रयोग किया है। अतः विद्यार्थी परिषद मांग करती है कि छात्र हित में फैसला लेते हुए सभी निजी विश्वविद्यालय को यह आदेश दिए जाएं कि लोकडॉन के दौरान ट्यूशन फीस के अलावा ली गई हर फीस को वापस किया जाए।
परिषद का मानना है कि निजी विश्वविद्यालय अपने कर्मचारियों को वेतन समय पर नहीं दे रही है और लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों का वेतन डकार गई है। जिसका सीधा प्रभाव छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। इसमें विद्यार्थी परिषद का मानना है की कड़े कानून बनाए जाएं ताकि अध्यापकों की सैलरी समय पर आए और शिक्षा की गुणवत्ता बनी रहे। परिषद का मानना है कि कुछ निजी विश्वविद्यालय को नियामक आयोग ने आदेश दिए हैं कि अध्यापकों की सैलरी और सिक्योरिटी अध्यापकों को वापस दी जाए और जो वहां पढ़ रहे छात्र हैं उनको उनकी सिक्योरिटी लौटाई जाए।
मगर नियामक आयोग के आदेश के बाद भी निजी विश्वविद्यालय अपनी मनमानी कर रहा है और छात्रों के सिक्योरिटी फीस को वापस नहीं लौटा रहा है। हाल ही में इंडस यूनिवर्सिटी में एक अध्यापक फर्जी डिग्री के साथ पाया गया था और नियामक आयोग ने इंडस यूनिवर्सिटी को अध्यापक के ऊपर एफआईआर करने के आदेश दिए थे मगर 4 महीने बीतने के बाद भी इंडस यूनिवर्सिटी ने ना तो कर्मचारी पर एफआईआर करवाई जिससे साफ होता है की फर्जी डिग्रियों के लोगों को इंडस यूनिवर्सिटी संरक्षण दे रही है।
अतः विद्यार्थी परिषद का मानना है कि नाम नियामक आयोग उन विश्वविद्यालय के ऊपर शिकंजा कसे जो फर्जी डिग्री और गैरकानूनी तरीके से दे रहे डिग्री जैसे कार्यों में सम्मिलित है और ऐसे विश्वविद्यालय की मान्यता जल्दी से जल्दी रद्द की जाए ताकि छात्रों का भविष्य बचाया जा सके। विद्यार्थी परिषद मांग करती है कि आयोग जल्दी से जल्दी इन विश्वविद्यालय के ऊपर कार्रवाई करें अन्यथा विद्यार्थी परिषद को मजबूरन नियामक आयोग के खिलाफ सड़कों पर उतरना पड़ेगा।
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