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Sunday, September 13, 2020

2nd टॉपर संगीता ने बताया सफलता का राज, बोलीं- योग ने बदल दी जिंदगी

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शहर के न्यू शांतिनगर निवासी संगीता राघव ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में दूसरा स्थान प्राप्त करके शहर का नाम रोशन किया है। हालांकि कुछ वर्षों पहले तक संगीता को इस सफलता तो क्या, इस परीक्षा में बैठने की उम्मीद भी नहीं थी। उन्होंने उस समय सोचा भी नहीं था कि वे इस तरह की परीक्षा में बैठेंगी।

उन्हें लगता था कि उनमें हिम्मत नहीं है, लेकिन फिर उन्होंने योग और ध्यान का दामन थामा तो न केवल आत्मविश्वास, बल्कि उनके अंदर सकारात्मकता का भी संचार हुआ, जिसने उनके जीवन को एक नई दशा दी।

पीएचडी छोड़कर शुरू की तैयारी प्राथमिक शिक्षा मुंबई से ग्रहण करने के बाद आगे की स्कूली शिक्षा उन्होंने शहर के देव समाज विद्या निकेतन स्कूल से प्राप्त की। सेक्टर 14 स्थित राजकीय महिला महाविद्यालय से उन्होंने बीएससी की और फिर द्वारका स्थित इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय से नेचुरल रिसॉर्स मैनेजमेंट में उच्चतर शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने वर्ष 2017 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पीएचडी शुरू की थी, लेकिन वर्ष 2018 उसे छोड़कर उन्होंने इस परीक्षा की तैयारी की।

माता-पिता ने नहीं डाला दबाव संगीता ने हमेशा देखा कि लड़कियों को जीवन के हर मोड़ पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह चुनौतियां भीतर से लेकर बाहर तक की होती हैं। उनकी सहेलियां पढ़ना चाहती थीं, लेकिन उनके माता-पिता ने पढ़ने नहीं दिया। संगीता के साथ ऐसा नहीं हुआ। माता-पिता ने हमेशा उन्हें अपने फैसले खुद लेने की छूट दी। इस हिदायत के साथ कि जो भी होगा वह संगीता की अपनी जिम्मेदारी होगी। मां पवन राघव और नेवी से सेवानिवृत पिता दिनेश सिंह राघव बेटी की इस सफलता से बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा कि लोग कहते थे कि बेटी की शादी कर दें, लेकिन उन्हें बेटी के फैसले और जज्बे पर पूरा भरोसा था।

ध्यान और योग से बदली दुनिया 
तीन वर्ष पहले तक संगीता जीवन का लक्ष्य नहीं निर्धारित कर पा रही थीं। इस बीच वे योग और ध्यान से जुड़ीं और उन्होंने आश्चर्यजनक बदलाव महसूस किए। आत्मविश्वास से लेकर सकारात्मक सोच ने उन्हें दुनिया देखने का एक अलग नजरिया दिया। इसलिए अपनी सफलता का पहला श्रेय वह योग को देना चाहती हैं।

नियमित पढ़ाई ने बनाया सफल संगीता ने एक साल तक जमकर तैयारी की। उन्होंंने तीन से चार घंटे की नियमित पढ़ाई की और परीक्षा के समय वे केवल तीन-तीन घंटे सोती थीं। उन्होंने इस परीक्षा के लिए इलाहाबाद के अपनी सीनियर्स से सहायता ली। सफलता का श्रेय अपने मेंटर अरुण सिंह को भी देती हैं जिन्होंने बताया कि क्या पढ़ना है और क्या नहीं पढ़ना है। सफलता का मंत्र बताते हुए उन्होंंने कहा कि कम से कम और सकारात्मक लोगोंं को अपने आसपास रखना चाहिए।
from HIM NEWS
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