
हिमाचल प्रदेश में बीपीएल और अत्योदय सूची की बड़े स्तर पर जांच के आदेश दिए गए हैं। इस सूची में शामिल राज्य के 125 सरकारी अधिकारी-कर्मचारी गरीबों के हिस्से का मुफ्त का राशन हड़प रहे हैं। खाद्य विभाग में हुए इस खुलासे के बाद पंचायत रिकार्ड में दर्ज सूची की राशनकार्ड के साथ मिलान को कहा गया है। इसके लिए खाद्य विभाग के निरीक्षकों को सभी डिपो होल्डर्स और पंचायत सचिवों से रिकार्ड तलब करने को कहा है।
चौंकाने वाली बात है कि राज्य के कुछ एक डाक्टर, प्रिंसीपल, लेक्चरर, प्रोफेसर, इंजीनियर और पुलिस इंस्पेक्टर भी बीपीएल और अत्योदय में अभी भी शामिल हैं। खाद्य विभाग के निदेशक आबिद हुसैन ने इस मामले पर कड़ा संज्ञान लेते हुए जांच रिपोर्ट तलब की है। इसी बीच अंत्योदय की सूची में शामिल सभी 125 अधिकारियों-कर्मचारियों को कानूनी शिकंजा कसने के लिए नोटिस दिया गया है। नोटिस में कहा गया है कि आयकरदाता होने के बावजूद आपका नाम गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों की सूची में कैसे शामिल है?
आप किस प्रकार से गरीबों के हिस्से का सस्ता व मुफ्त राशन हड़प रहे हैं। नोटिस में कहा है कि क्यों न आपके खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई की जाए। बहरहाल, खाद्य विभाग ने अपने सभी जिला नियंत्रकों को पत्र लिखकर जांच रिपोर्ट भेजने को कहा है। इसमें कड़े शब्दों में लिखा गया है कि सभी इंस्पेक्टरों को सस्ते राशन की दुकानों पर जांच के लिए भेजा जाए। सभी राशनकार्डों की जांच करने को कहा है।
इसके अलावा निरीक्षकों को आदेश दिए गए हैं कि वे पंचायत सचिवों से बीपीएल और अंत्योदय का रिकार्ड लेंगे। इस रिकार्ड के आधार पर राशनकार्ड का मिलान करेंगे। इस आधार पर स्थिति स्पष्ट होगी कि यह हेराफेरी किस स्तर पर चल रही थी? खाद्य विभाग के निदेशक आबिद हुसैन का कहना है कि राज्य सरकार ने इस मामले में कड़ा संज्ञान लिया है। इस मामले में विभागीय निरीक्षकों की भी जवाबदेही तय हो सकती है।
जांच में अगर डिपो होल्डर्स संलिप्त पाए गए, तो उनके खिलाफ क्रिमिनल किए जाएंगे। इसके अलावा दोषी पाए जाने पर डिपो भी कैंसिल कर दिए जाएंगे। बताते चलें कि इस मामले में ग्रामीण विकास विभाग की भूमिका को भी नकारा जा सकता। यही कारण है कि खाद्य विभाग ने ग्रामीण विकास विभाग को पत्र लिखकर पंचायत स्तर पर अंत्योदय व बीपीएल के रिकार्ड की जांच का प्रस्ताव दिया है।
FROM - HIM NEWS
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