
कोरोना काल में विशेषज्ञ इम्यूनिटी बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि आयोडीन की कमी से जहां बच्चों का मानसिक विकास नहीं हो पाता वहीं लोगों को थायरॅायड और घेंगा जैसी गंभीर बीमारियां भी होने लगती हैं। प्रदेश में करीब 18.5 लाख राशन कार्डधारक उपभोक्ता हैं। सरसों तेल, दालों के अलावा उपभोक्ता डिपो से मिल रहा नमक खाते हैं।
डिपुओं में मिलने वाले सस्ते नमक में आयोडीन की मात्रा न के बराबर पाई गई है। इसका खुलासा आशा वर्करों की ओर से किए एक सर्वे में हुआ है। आशा वर्कर एमबीआई किट से घर-घर जाकर नमक में आयोडीन की मात्रा चेक कर रही हैं, जिसमें चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। डिपो के नमक में कहीं तो आयोडीन की मात्रा 0 फीसदी है तो कहीं 5 से 10 फीसदी है, जबकि यह 15 फीसदी से ज्यादा होनी चाहिए। आशा वर्कर लोगों को डिपो का नमक न खाने की सलाह दे रही हैं।
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