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Tuesday, August 25, 2020

158 रुपए में बना था हिमाचल का ये गुरुद्वारा, 5 रुपए 8 आने में हुआ था पहला लंगर

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Sri Guru Gobind Singh Stayed Agra During Gwalior Visit Hindi News ...गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा कसौली। इस गुरुद्वारे का इतिहास बहुत ही पुराना है। यह 13 अप्रैल, 1878 को एक छोटे से कमरे में स्थानीय सिख संगत और उस समय की फौजी संगत के सहयोग से स्थापित किया गया था। यह कक्ष आज भी विद्यमान है और अपने पुरातन स्वरूप को समरण करवाता है। इस गुरुद्वारे की सबसे पहली बैठक 9 मई, 1897 को हुई, जिसमें यह फैसला लिया गया कि इस गुरुद्वारे की सेवा संभाल के लिए कमेटी बनाई जाए, जिसमें शहर के सबसे पुरातन सेवादार भाई रण सिंह जी को कमेटी का पहला प्रधान नियुक्त किया गया।
मीत प्रधान बाबू भगवान दास और खजांची भाई देवी सिंह मिस्त्री और सकंदर भाई निहाल सिंह अन्य सदस्य बनाए गए और फिर फैसला लिया गया कि हर रविवार शाम 7 बजे से 10 बजे तक कीर्तन दरबार सजा करेगा। उस समय दीवान को जलसा कहा जाता था। सब ने यह फैसला लिया कि हर परिवार से 10 रुपए चंदा इकट्ठा किया जाए ताकि गुरुद्वारे की मुरम्मत व रखरखाव का कार्य सुचारू रूप से हो सके। इन सारी बातों का रिकॉर्ड आज भी लिखा हुआ गुरुद्वारे में मौजूद है। 5 अप्रैल, 1930 को गुरुद्वारे की नई कमेटी का गठन हुआ, जिसमें प्रधान हजूरा सिंह मीत प्रधान भाई रण सिंह और खजांची बाबू लोकनाथ शामिल थे।
पहली बार मनाया गया गुरु नानक देव जी का प्रकाश वर्ष, जिसमें हिंदू, मुसलमान, सिख व इसाई सभी कसौली वासियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। नगर कीर्तन गुरुद्वारा साहिब से लेकर बाजार तक गया। इसमें शबद कीर्तन और गुरु इतिहास का गुणगान किया गया। कंवर महाराज पटियाला ने 51 रुपए का कड़ाह प्रसाद अरदास करवाया। उस समय खालसा दीवान लाहौर को यह खबर छापने की सूचना दी गई। बहुत हैरानी की बात है कि उस समय इतना बड़ा लंगर 5 रुपए 8 आने 2 पैसे में हो जाता था।
उसके उपरांत जो संतों महात्माओं के प्रताप से सुंदर इमारत 1950 के बाद बनी, वह आज भी दर्शनीय है। गुरुद्वारे में स्थित पालकी साहिब, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब को प्रकाश किया जाता है, वह भी अपने समय के आधुनिक कारीगरी का एक प्रतीक है और उस जमाने में इसके निर्माण पर 158 रुपए की लागत आई थी। गुरुद्वारा श्री सिंह सभा में एक लाइब्रेरी भी है, जिसमें पुरातन समय की बहुत सी किताबें उर्दू, हिंदी और पंजाबी में हैं जो आज भी सही हालत में हैं।

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