जिला को मंत्रिमंडल विस्तार में फिर से बाहर रखने से लोगों में रोष है। लिहाज़ा कहना गलत न होगा कि शिमला से चंबा की राजनीतिक दूरी बढ़ गई है। बताते चलें कि लंबे अरसे से जिले को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिलने की आहट थी तो वहीं मंगलवार को कुछ और ही फैसला आया। भट्टियात विधानसभा से दूसरी बार लगातार जीते विधायक बिक्रम सिंह जरयाल के समर्थकों के अलावा जिले के भाजपाइयों को यह फैसला मायूसी दे गया तो वहीं जिले से भेदभाव के प्रदेश सरकार पर विपक्ष के आरोपों को भी हवा मिली है। कांग्रेस शासन की बात करें तो चंबा जिले को मंत्रिमंडल में स्थान मिलता आया है तो वहीं कांग्रेस नेताओं को भी
विभिन्न बोर्ड अध्यक्ष बनाकर जिले को सम्मान देती आई है।
राजनीतिक गलियारों में इसकी चर्चा जोरों पर हैं तो वहीं प्रदेश सरकार के प्रति भी अंदरुनी रोष सिर उठा रहा है। इससे कांग्रेस को भी राजनीतिक लाभ जबकि भाजपा को नुक्सान से भी मुकरा नहीं जा सकता।
हालांकि आगामी पंचायती चुनावों में इसका असली नतीजा देखा जा सकता है।
विगत लोकसभा चुनावों में उछले सीएम जयराम ठाकुर के सबसे ज्यादा लीड दिलवाने वाले विधायक को बड़े पद से नवाजने की बात भी यहां पानी फिर गया है। बताते चलें कि भटियात विधान सभा न सिर्फ प्रदेश बल्कि देश भर में भाजपा की मत प्रतिशतता में पहले नंबर पर था। इसके पीछे विधायक बिक्रम जरयाल की मेहनत को प्रदेश सरकार ने दरकिनार कर दिया है।
भारतीय सेना में पैरा कमांडो रहे बिक्रम जरयाल सीढ़ी दर सीढ़ी ग्रास रूट पर कड़ी मेहनत कर
विधायक बने हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व विधायक कुलदीप सिंह पठानिया को दो बार शिकस्त देना इतना आसान नहीं था। वहीं पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह से पठानिया की नजदीकियां भी किसी से छुपी नहीं है। यही वजह है कि आलाकमान के खास ओर ग्रास रूट पर पकड़ रखने वाले पठानिया को हरा बिक्रम जरयाल ने भट्टियात में भाजपा को पिछड़े से अगड़ा कर दिया तो वहीं इस जीत को 2017 में दोहरा कर तथा पिछले लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा लीड दिलवा कर इस हलके की छवि भाजपा गढ़ की बना दी। वहीं इसके बावजूद मंत्रिमंडल में जरयाल को तरजीह न देकर यहां भाजपा ने चंबा को मायूस किया है।
पीटर हाफ से बढ़ी चंबा की दूरी पीटर हाफ से भटियात की दूरियों का असर मंत्रिमंडल विस्तार पर पड़ा है। ये दूरियां राजनीतिक गलियों में हमेशा चर्चाओं में रही हैं। तो ये किस्सा भी अनायास ही नहीं।
साल 2017 में मंत्रिमंडल गठन के दौरान भट्टियात के विधायक बिक्रम जरयाल को राज्यपाल का शपथ पत्र भी मिला था। संस्कृत में लिखा गया यह मंत्री पद की शपथ का पत्र विधायक बिक्रम जरयाल ने सहेज कर रखा है।
क्या कहते हैं विधायक विधायक बिक्रम जरयाल से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि फैसला हाई कमान को करना था। उन्होंने चंबा को प्रतिनिधित्व न मिलने की बात को स्वीकारते हुए कहा कि पार्टी के फैसले पर को कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
from HIM NEWS
loading...
loading...
No comments:
Post a Comment