
भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा के समीप गलवां में दोनों देशों की
सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प में शहीद भारतीय सेना के 20 जवानों में शामिल
हिमाचल के हमीरपुर के अंकुश ठाकुर का अंतिम संस्कार पैतृक गांव कड़होता में
सैन्य सम्मान के साथ किया गया। इससे पहले अंकुश की पार्थिव देह आज पैतृक
गांव पहुंची, तो वहां माहौल पूरी तरह से गमगीन हो गया। परिजन बेसुध हो गए,
तो वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम थी।
सेना की टुकड़ी ने शहीद के पार्थिव शरीर पर राष्ट्रीय ध्वज चढ़ाया तो साथ ही इस टुकड़ी ने श्मशानघाट पर हवा में फायर कर जवान को सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी। शहीद को छोटे भाई आदित्य ने मुखाग्नि दी। बता दें कि शहीद अंकुश अपनी खुद की कमाई के पैसों से गांव में घर के लिए थोड़ी सी जमीन और लग्जरी कार खरीदना चाहते थे। इसका जिक्र वह हमेशा अपने माता-पिता से घर पर और फोन पर किया करता था। परिवार वर्ष 2021 में अंकुश ठाकुर की शादी की तैयारियों में जुटा था।
माता-पिता की शादी के 10 वर्ष बाद अंकुश ठाकुर के रूप में पहली संतान हुई थी। शादी के काफी समय बाद औलाद होने पर माता-पिता ने बड़े प्यार दुलार से बेटे की परवरिश की। पढ़ाया-लिखाया और जब वह 20 वर्ष का हुआ तो सेना में भर्ती हो गया। अंकुश से छोटा बेटा आदित्य भी अपने भाई से उम्र में 10 वर्ष छोटा है। छोटा बेटा आदित्य अभी 13 वर्ष का है और सातवीं कक्षा में पढ़ता है।
इसलिए माता-पिता को बड़े बेटे अंकुश ठाकुर के सेना में भर्ती होने के बाद बेटे की शादी की जल्दी थी। शहीद की मां ऊषा देवी कहती हैं कि हम पति-पत्नी बुजुर्ग हो रहे हैं और छोटे बेटे की शादी को शायद हम रहें या ना रहें। इसलिए बड़े बेटे की शादी करना चाहते थे। लेकिन सारी तैयारियां धरी की धरी रह गईं।
सेना की टुकड़ी ने शहीद के पार्थिव शरीर पर राष्ट्रीय ध्वज चढ़ाया तो साथ ही इस टुकड़ी ने श्मशानघाट पर हवा में फायर कर जवान को सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी। शहीद को छोटे भाई आदित्य ने मुखाग्नि दी। बता दें कि शहीद अंकुश अपनी खुद की कमाई के पैसों से गांव में घर के लिए थोड़ी सी जमीन और लग्जरी कार खरीदना चाहते थे। इसका जिक्र वह हमेशा अपने माता-पिता से घर पर और फोन पर किया करता था। परिवार वर्ष 2021 में अंकुश ठाकुर की शादी की तैयारियों में जुटा था।
माता-पिता की शादी के 10 वर्ष बाद अंकुश ठाकुर के रूप में पहली संतान हुई थी। शादी के काफी समय बाद औलाद होने पर माता-पिता ने बड़े प्यार दुलार से बेटे की परवरिश की। पढ़ाया-लिखाया और जब वह 20 वर्ष का हुआ तो सेना में भर्ती हो गया। अंकुश से छोटा बेटा आदित्य भी अपने भाई से उम्र में 10 वर्ष छोटा है। छोटा बेटा आदित्य अभी 13 वर्ष का है और सातवीं कक्षा में पढ़ता है।
इसलिए माता-पिता को बड़े बेटे अंकुश ठाकुर के सेना में भर्ती होने के बाद बेटे की शादी की जल्दी थी। शहीद की मां ऊषा देवी कहती हैं कि हम पति-पत्नी बुजुर्ग हो रहे हैं और छोटे बेटे की शादी को शायद हम रहें या ना रहें। इसलिए बड़े बेटे की शादी करना चाहते थे। लेकिन सारी तैयारियां धरी की धरी रह गईं।
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